Bhagavad Gita 17.1
अर्जुन उवाच |
ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धानविता: |
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमहो राजस्तम:
Translation
अर्जुन ने कहा-हे कृष्ण! उन लोगों की स्थिति क्या होती है जो धर्मग्रन्थों की आज्ञाओं की उपेक्षा करते हैं किन्तु फिर भी श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं? क्या उनकी श्रद्धा, सत्वगुणी, रजोगुणी अथवा तमोगुणी होती है?