Bhagavad Gita 16.13
इदमद्य मया लब्धिमं प्रापस्ये मनोरथम् |
इदमस्तदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम्
Translation
आसुरी व्यक्ति सोचता है-"मैंने आज इतनी संपत्ति प्राप्त कर ली है और मैं इससे अपनी कामनाओं की पूर्ति कर सकूँगा। यह सब मेरी है और कल मेरे पास इससे भी अधिक धन होगा।