Bhagavad Gita 16.12

आशापाशशतैर्बद्ध: कामक्रोधपरायणा: |
इहंते कामभोगार्थमन्यायेनार्थसञ्जयान्

Translation

सैंकड़ों कामनाओं के बंधनों में पड़ कर काम वासना और क्रोध से प्रेरित होकर वे अवैध ढंग से धन संग्रह करने में जुटे रहते हैं। यह सब वे इन्द्रिय तृप्ति के लिए करते हैं।