Bhagavad Gita 13.34

यथा प्रकाशयत्येक: कृत्स्नं लोकमिमं रवि: |
क्षेत्रं क्षेत्रि तथा कृत्स्नं प्रकाशयति भारत

Translation

जिस प्रकार से एक सूर्य समस्त ब्रह्माण्ड को प्रकाशित करता है उसी प्रकार से आत्मा चेतना शक्ति के साथ पूरे शरीर को प्रकाशित करती है।