Bhagavad Gita 13.33
यथा सर्वगतं सौक्ष्म्यादाकाशं नोपलिप्यते |
सर्वत्रवस्थितो देहे तथात्मा नोपलिप्यते
Translation
अंतरिक्ष सबको अपने में धारण कर लेता है लेकिन सूक्ष्म होने के कारण जिसे यह धारण किए रहता है उसमें लिप्त नहीं होता। इसी प्रकार से यद्यपि आत्मा चेतना के रूप में पूरे शरीर में व्याप्त रहती है फिर भी आत्मा शरीर के धर्म से प्रभावित नहीं होती।