नारदीयपुराण हिंदी में पढ़ें

narad-puran

परिचय:

नारदीयपुराण जिसे नारद पुराण के नाम से भी जाना जाता है, यह हिंदू धर्म के 18 प्रमुख पुराणों में से एक है, जिसका श्रेय ऋषि नारद को जाता है।

इसे एक वैष्णव पुराण माना जाता है, जो भगवान विष्णु की पूजा पर व्यापक रूप से केंद्रित है।

महर्षि व्यास द्वारा अन्य पुराणों के साथ संकलित।

संरचना:

नारदीयपुराण पूरन इसमें 207 अध्याय और 22,000 श्लोक हैं।

दो भागों में विभाजित: पूर्वी भाग (पहला भाग) and उत्तर भाग (दूसरा भाग).

पहले भाग में 125 अध्याय हैं और इसमें ब्रह्मांड की रचना, अनुष्ठान, पूजा पद्धति और 18 पुराणों की सूची का विवरण है।

दूसरे भाग में 82 अध्याय हैं और इसे छह खंडों में विभाजित किया गया है: शिक्षा, कल्प, व्याकरण, निरुक्त, ज्योतिष और छंद।

पूर्वी भाग (पहला भाग):

ऐतिहासिक आख्यानों, धार्मिक प्रथाओं, धर्म की प्रकृति और भक्ति के महत्व सहित ज्ञान के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है।

व्याकरण, व्युत्पत्ति, ज्योतिष और कर्मकांड संबंधी प्रथाओं में अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

इसमें कहानियाँ, छिपी हुई धार्मिक प्रथाएँ और भक्ति, व्याकरण, खगोल विज्ञान और अनुष्ठानों पर विविध शिक्षाएँ शामिल हैं।

उत्तर भाग (दूसरा भाग):

शिक्षा (ध्वन्यात्मकता और उच्चारण), कल्प (अनुष्ठान और समारोह), व्याकरण (व्याकरण), निरुक्त (व्युत्पत्ति), ज्योतिष (ज्योतिष), और छंद (मेट्रिक्स) पर अनुभाग शामिल हैं।

शिक्षा उच्चारण और जप विधियों से संबंधित है, जबकि कल्प अनुष्ठानों और उनके महत्व पर चर्चा करता है।

व्याकरण व्याकरण के नियमों को स्पष्ट करता है, निरुक्त व्युत्पत्ति की व्याख्या करता है, और ज्योतिष ज्योतिष का अन्वेषण करता है।

छंद वैदिक पाठ में उनके महत्व पर जोर देते हुए, वैदिक और धर्मनिरपेक्ष मैट्रिक्स को शामिल करता है।

महत्व:

नारदीयपुराण पूरन व्याकरण, अनुष्ठान, ज्योतिष और धार्मिक प्रथाओं सहित विभिन्न विषयों के व्यापक कवरेज के लिए महत्व रखता है।

यह भगवान विष्णु की पूजा के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है और इसमें शिव और काली जैसे अन्य देवताओं की पूजा के लिए मंत्र शामिल हैं।

गोहत्या और देवी-देवताओं की निन्दा जैसे घोर पापों को बड़ा अपराध मानते हुए इनके विरुद्ध चेतावनी दी गई है।

उद्धरण और छंद:

"नारदीयपुराण पूरन यह ज्ञान का खजाना है, जिसमें एक धार्मिक जीवन जीने के लिए आवश्यक विभिन्न विषयों का समावेश है।"