अध्याय
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वेद
पुराण
उपनिषद
भाषा
English
हिंदी
ગુજરાતી
Bhagavad Gita 8.21
अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमहुः परमां गतिम् |
यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम
Translation
यह अव्यक्त आयाम परम गन्तव्य है और इस पर पहुंच कर फिर कोई नश्वर संसार में लौट कर नहीं आता। यह मेरा परम धाम है।