अध्याय
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अध्याय 18
वेद
पुराण
उपनिषद
भाषा
English
हिंदी
ગુજરાતી
Bhagavad Gita 4.5
भगवान श्रीउवाच |
बहुनि मे रुचिआनि जन्मानि तव चार्जुन |
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप
Translation
तुम्हारे और मेरे अनन्त जन्म हो चुके हैं किन्तु हे परन्तप! तुम उन्हें भूल चुके हो जबकि मुझे उन सबका स्मरण है।