अध्याय
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वेद
पुराण
उपनिषद
भाषा
English
हिंदी
ગુજરાતી
Bhagavad Gita 2.62
ध्यायतो विषयान्पुंस: सङ्गस्तेषुपजायते |
सङ्गत्सञ्जायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते
Translation
इन्द्रियों के विषयों का चिंतन करते हुए मनुष्य उनमें आसक्त हो जाता है और आसक्ति कामना की ओर ले जाती है और कामना से क्रोध उत्पन्न होता है।