अध्याय
अध्याय 1
अध्याय 2
अध्याय 3
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अध्याय 5
अध्याय 6
अध्याय 7
अध्याय 8
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अध्याय 10
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अध्याय 13
अध्याय 14
अध्याय 15
अध्याय 16
अध्याय 17
अध्याय 18
वेद
पुराण
उपनिषद
भाषा
English
हिंदी
ગુજરાતી
Bhagavad Gita 18.77
तच्च संस्मृत्य संस्मृति रूपमत्यद्भुतं हरे: |
विस्मयो मे महानरान्हृष्यामि च पुन: पुन:
Translation
भगवान श्रीकृष्ण के अति विस्मयकारी विश्व रूप का स्मरण कर मैं अति चकित और बार-बार हर्ष से रोमांचित हो रहा हूँ।