Bhagavad Gita 16.2
अहिंसा सत्यमक्रोधस्त्यगः शान्तिरपैशुनम् |
दया भूतेष्वलोलुप्त्वं मार्दवं ह्रीराचापलम्
Translation
अहिंसा, सत्यता, क्रोधहीनता, त्याग, शांतिप्रियता, दोषारोपण से मुक्त, सभी जीवों के प्रति करूणा भाव, लोभ से मुक्ति, भद्रता, लज्जा, अस्थिरहीनता