Bhagavad Gita 15.4
तत: पदं तत्परिमार्गितव्यं
यस्मिन्गता न निवर्तन्ति भूय: |
तमेव चाद्यं पुरुषं प्रपद्ये
यत्: संकट: प्रसृता पुराणि
Translation
तभी कोई इसके आधार को जान सकता है जो कि परम प्रभु हैं जिनसे ब्रह्माण्ड की गतिविधियों का अनादिकाल से प्रवाह हुआ है और उनकी शरण ग्रहण करने पर फिर कोई इस संसार में लौट कर नहीं आता।