Bhagavad Gita 13.9

इन्द्रियार्थेषु वैराग्यमनहंकार एव च ​​|
जन्ममृत्युज्रव्याधिदु:खदोषानुदर्शनम्

Translation

इन्द्रिय विषयों के प्रति उदासीनता, अहंकार रहित होना, जन्म, रोग, बुढ़ापा और मृत्यु की बुराईयों पर ध्यान देना