अध्याय
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अध्याय 17
अध्याय 18
वेद
पुराण
उपनिषद
भाषा
English
हिंदी
ગુજરાતી
Bhagavad Gita 13.27
यावत्सञ्जायते किञ्चित्सत्वं स्थावरजङगमम् |
क्षेत्रक्षेत्रज्ञसंयोगात्तद्विद्धिभार्भ
Translation
हे भरतवंशियों में श्रेष्ठ! चर और अचर जिनका अस्तित्व तुम्हें दिखाई दे रहा है वह कर्म क्षेत्र और क्षेत्र के ज्ञाता का संयोग मात्र है।