Bhagavad Gita 11.50

संजय उवाच |
इत्यर्जुनं वासुदेवस्थोक्त्वा स्वकं रूपं दर्शयामास भूय: |
अश्वस्यामास च भीतमेनं भूत्वा पुन: सौम्यवपूर्णमहात्मा

Translation

संजय ने कहाः ऐसा कहकर वासुदेव के करुणामय पुत्र ने पुनः अपना चतुर्भुज रूप प्रकट किया और फिर अपना दो भुजाओं वाला सुन्दर रूप प्रदर्शित कर भयभीत अर्जुन को सांत्वना दी।