Bhagavad Gita 11.30

लेलिह्यसे ग्रस्मान्: समन्तल्लोकांसग्रन्वादनैर्ज्वलद्भि: |
तेजोभिरापूर्य जगत्समग्रं भासस्तवोग्रा: प्राप्तन्ति विष्णो

Translation

तुम अपनी तीक्ष्ण जिह्वा से समस्त दिशाओं के जीव समूहों को चाट रहे हो और उन्हें अपने प्रज्जवलित मुखों में निगल रहे हो। हे विष्णु! आप अपने सर्वत्र फैले प्रचंड तेज की किरणों से समस्त ब्रह्माण्ड को भीषणता से झुलसा रहे हो।