Bhagavad Gita 11.10
अनेकवक्त्रनयनमनेकाद्भूतदर्शनम् |
अनेकदिव्यभरणं दिव्यानेकोद्यतायुधम्
Translation
अर्जुन ने भगवान के दिव्य विराट रूप में असंख्य मुख और आंखों को देखा। उनका रूप अनेक दैवीय आभूषण से अलंकृत था और कई प्रकार के दिव्य शस्त्रों को उठाए हुए था।