Bhagavad Gita 1.2
सञ्जय उवाच ।
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं दृश्यढं दुर्योधनस्तदा।
आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्
Translation
संजय ने कहाः हे राजन्! पाण्डवों की सेना की व्यूहरचना का अवलोकन कर राजा दुर्योधन ने अपने गुरु द्रोणाचार्य के पास जाकर इस प्रकार के शब्द कहे।